गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

वापस आ रहा हूँ...

एक लंबे समय के ठहराव के बाद मैं फिर से वापस आ रहा हूँ। आज से चार साल पहले BLOG लिखना आदत बन गई थी। जिंदगी में बहुत से उतार- चढ़ाव  आते रहते है, जिनमें से कुछ  इंसान को तोड़ जाते है, तो कुछ को इंसान तोड़ जाता है।
वो उतार चढ़ाव जिंदगी में बहुत कुछ दे जाते है, बहुत कुछ सिखा जाते है। मैंने भी अपनी जिंदगी में पिछले चार सालों में बहुत कुछ सीखा है।  उन्ही सीखे हुए सबक में से कुछ कुछ यहाँ कभी कभी उड़ेलूँगा।
कालेज से बाहर आने पर शरीर मे एक अलग ही प्रकार की ऊर्जा होती है, इतनी ऊर्जा होती है कि मानों आइन्स्टीन का दिया हुआ E=mc^2 समीकरण का प्रतिपादन हम ही ने किया हो, सूरज के भी तेज से भी ज्यादा तेज़ होता है, चेहरे पर रौबदार खुशी, दिमाग में कोई टेंशन नही सिम्पल शब्दों में बोलूं तो बिल्कुल बिंदास।
फिर 4-5 महीने में अपनी औकात दिखने लगती है, जिसे नही दिखती उसे फील गुड हो जाता है।
फिर क्या होता है ये अगले भाग में....


To be continued....

मंगलवार, 30 दिसंबर 2014

कश्मश नये साल की...


 दोस्तों नये साल के आने का समय जैसे-जैसे नज़दीक आता जाता है,
 वैसे-वैसे  मन में रोमांच, मस्ती , आनंद और ख़ुशी की लहर सी उठाने लगाती है. साथ ही साथ मस्तिष्क का हिस्सा पुराने गले सिकवे, पुरानी गलतियों और उनसे सीखी बातो को आँखों के पटल पर रखने लगता है।
मेरे सामने भी ऐसे ही   बहुत से दृश्य आये। कभी ये खुद आते रहते है कभी कुछ देख,सुन या
 पढ़ कर आ जातेहै। एसी ही कुछ लाइनें मेरे सामने भी आयी WhatsApp के माध्यम से उसे आप सब के साथ साझा कर रहा हूँ बहुत ही खुबसूरत पंक्तियाँ है --

ज़िन्दगी का एक वर्ष कम हो चला ,
कुछ पुरानी यादों को पीछे छोड़ चला,

कुछ ख्वाइशें दिल में रह जाती है,
कुछ बिन मांगे मिल जाती है 

कुछ छोड़ कर चले गये
 कुछ नये जुड़ेंगे इस सफ़र में,

कुछ मुझसे बहुत खफ़ा है ,
कुछ मुझसे बहुत खुश है ,

कुछ शायद अनजान है ,
कुछ बहुत परेशान है,

कुछ को मेरा इंतज़ार है ,
कुछ का मुझे इंतज़ार है  

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

फ़िल्में समाज सुधारने का प्रोजेक्ट है क्या...??

बहुत दिनों बाद अपने ब्लॉग पर कुछ लिख रहा हूँ, जीवन में व्यस्तताओं के कारण बहुत कम समय मिल पाता है लिखने का, वैसे भी मैं कोई पेशेवर ब्लॉगर नहीं हूँ। जब कभी लिखने की इच्छा हुई तब यहाँ आ जाता हूँ।  
आज मैं आमिर खान की फिल्म PK देख कर आया फिल्म देखने से मुझे जो कुछ भी महसूस हुआ उसे यहाँ लिख रहा हूँ।  


जो लोग PK पर बैन लगाने की माँग कर रहे है, उनसे मै भी कुछ कहना चाहता हूँ..
जब हिन्दू देवी देवताओं के उपर अत्यधिक हास्य पूर्ण ढंग से बन रहे ढेरों एनीमेशन फिल्म तमाम कार्टून चैनल पर दिखाए जाते है तो किसी की भावना पर पर कोई प्रभाव नही पड़ता। और तो और इन एनीमेशन में दिखाई जाने वाली कहानियों का हमारे किसी ग्रन्थ,पुराण और उपनिषद में कोई वर्णन नही मिलता।

मज़े की बात ये देखिये की ये एनीमेशन फिल्म ज्यादातर हिन्दू घरों में ही देखा जाता है। तब किसी के भावना का कोई एक्सीडेंट नही होता, कोई चोट नही लगती। क्यों.??
क्यों की इस एनीमेशन फिल्म को हम और आप सिर्फ मनोरंजन के लिए मनोरंजन की दृष्टि से देखते है। कोई विशेष चश्मा पहनकर नहीं।

अगर सिर्फ फिल्म देखने से लोगों का ब्रेन वाश हो रहा है, धर्म कमजोर हो रहा है, प्रतिष्ठा में कमी आ रही है.. 
तो, फिल्म से ये सब परिवर्तन भी होने चाहिए..
फिल्म से अब तक हर पुलिस वाले को "इंडियन","दबंग"और "सिंघम" बन जाना चाहिए।
देशप्रेमी को "स्वदेश" वाला शाहरुख़ बन जाना चाहिए।
हर बहू को "तुलसी" होना चाहिए।
और हर परिवार को रामकिशन का "हम साथ साथ हैं" जैसा परिवार हो जाना चाहिए था।
क्या ऐसा है?? 
PK के  विरोध का नेतृत्व  वही लोग कर रहे है , जिन्हें अपना धंधा आगे  मंदा होता हुआ नज़र आ रहा है , या उन्होंने फिल्म को अछे से नहीं देखा है ,
साथ में वे लोग भी है, जिनके कपडे DANCING CAR से चोरी हो गये 
देखिये सज्जनों फ़िल्में सिर्फ मनोरंजन के लिए होती है। 
कुछौ बुझाइल की नाहीं 
‪#‎PK‬ देखें तो सिर्फ मनोरंजन के लिए मनोरंजन की दृष्टि से देखें। 
भावनाएं आहत होने वाले चश्मे से नही... 

अगर एम्मा से कुछौ समझ में आवा तौ ठीक है
नही तो समझ लियो की हम ईका, ई गोला वालों के लिए नाही लिखा हूँ।

रविवार, 3 अगस्त 2014

FriendShip Day

न जाने कब फिर से ये मंज़र सुहाना मिलेगा;
ये खिल-खिलाती हँसी और दोस्तों का याराना मिलेगा;
क़ैद कर लो इन खूबसूरत लम्हों को अपनी यादों में यारो;
इन्ही लम्हों से हमें ज़िंदगी में रोते हुए भी हँसने का बहाना मिलेगा।

दोस्ती वह भावना है जिसके बगैर यदि मैं कहूं कि एक इन्सान की जिंदगी सिवा तन्हाई के कुछ नहीं है तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी.ये सत्य है कि एक व्यक्ति जो भावनाएं एक दोस्त के साथ बाँट सकता है वह किसी के साथ नहीं बाँट सकता.

अब सारी दोस्ती इंटरनेट पर चैटिंग करते हुए अपने दोस्तों से अपनी ही भाषा में Hi- Hello ,Fine dude, करते हुए , SMS की भाषा में जकड़ी दोस्ती मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने, मोटरसाइकल पर शहर की सड़कों को नापने में, नोट्स आदान-प्रदान करने में व पुरानी जींस व गिटार से बंजारे को घर दिलाते हुए जैसे गीत सुनते हुए कब खत्म हो जाती है, पता ही नहीं चलता। आज याद आया Friendship Day जो है न