एक लंबे समय के ठहराव के बाद मैं फिर से वापस आ रहा हूँ। आज से चार साल पहले BLOG लिखना आदत बन गई थी। जिंदगी में बहुत से उतार- चढ़ाव आते रहते है, जिनमें से कुछ इंसान को तोड़ जाते है, तो कुछ को इंसान तोड़ जाता है।
वो उतार चढ़ाव जिंदगी में बहुत कुछ दे जाते है, बहुत कुछ सिखा जाते है। मैंने भी अपनी जिंदगी में पिछले चार सालों में बहुत कुछ सीखा है। उन्ही सीखे हुए सबक में से कुछ कुछ यहाँ कभी कभी उड़ेलूँगा।
कालेज से बाहर आने पर शरीर मे एक अलग ही प्रकार की ऊर्जा होती है, इतनी ऊर्जा होती है कि मानों आइन्स्टीन का दिया हुआ E=mc^2 समीकरण का प्रतिपादन हम ही ने किया हो, सूरज के भी तेज से भी ज्यादा तेज़ होता है, चेहरे पर रौबदार खुशी, दिमाग में कोई टेंशन नही सिम्पल शब्दों में बोलूं तो बिल्कुल बिंदास।
फिर 4-5 महीने में अपनी औकात दिखने लगती है, जिसे नही दिखती उसे फील गुड हो जाता है।
फिर क्या होता है ये अगले भाग में....
To be continued....
वो उतार चढ़ाव जिंदगी में बहुत कुछ दे जाते है, बहुत कुछ सिखा जाते है। मैंने भी अपनी जिंदगी में पिछले चार सालों में बहुत कुछ सीखा है। उन्ही सीखे हुए सबक में से कुछ कुछ यहाँ कभी कभी उड़ेलूँगा।
कालेज से बाहर आने पर शरीर मे एक अलग ही प्रकार की ऊर्जा होती है, इतनी ऊर्जा होती है कि मानों आइन्स्टीन का दिया हुआ E=mc^2 समीकरण का प्रतिपादन हम ही ने किया हो, सूरज के भी तेज से भी ज्यादा तेज़ होता है, चेहरे पर रौबदार खुशी, दिमाग में कोई टेंशन नही सिम्पल शब्दों में बोलूं तो बिल्कुल बिंदास।
फिर 4-5 महीने में अपनी औकात दिखने लगती है, जिसे नही दिखती उसे फील गुड हो जाता है।
फिर क्या होता है ये अगले भाग में....
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