शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

'मन की शांति'

जोशुआ लीबमेन ने लिखा है- मैं जब युवा था, तब जीवन में क्या पाना है, इसके बहुत स्वप्न देखता था। फिर एक दिन मैंने सूची बनाई थी- उन सब तत्वों को पाने की, जिन्हें पाकर व्यक्ति धन्यता को उपलब्ध होता है। स्वास्थ्य, सौंदर्य, सुयश, शक्ति, संपत्ति- उस सूची में सब कुछ था। उस सूची को लेकर मैं एक बुजुर्ग के पास गया और उनसे कहा कि क्या इन बातों में जीवन की सब उपलब्धियां नहीं आ जाती हैं?

मेरी बातों को सुन और मेरी सूची को देख उन वृद्ध की आंखों के पास हंसी इकट्ठा होने लगी थी और वे बोले थे, मेरे बेटे, बड़ी सुंदर सूची है। अत्यंत विचार से तुमने इसे बनाया है। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात तुम छोड़ ही गये हो, जिसके अभाव में शेष सब व्यर्थ हो जाता है। किंतु, उस तत्व के दर्शन, मात्र विचार से नहीं, अनुभव से ही होते हैं।

मैंने पूछा, वह क्या है? क्योंकि मेरी दृष्टिं में तो सब-कुछ ही आ गया था। उन वृद्ध ने उत्तर में मेरी पूरी सूची को निर्ममता के साथ काट दिया और उन सारे शब्दों की जगह उन्होंने छोटे से तीन शब्द लिखे,
'मन की शांति ।'

(साभार - योगेश गर्ग ) 

गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

इस " अन्धविश्वास" में 'विश्वास' कितना है ..??

नज़र ,जादू,टोना ..!!


जब कभी, कही पर भी इन शब्दों का इस्तेमाल होता है तो हमारी युवा पीढ़ी इसे " अन्धविश्वास " कहती है l 
लाख हम चीख-चीख कर यही कहते फिरे , फिर भी अपने ही मध्यमवर्गीय घरों में जब कभी छोटा बच्चा खाना न खाए, दूध न पिए कुछ खोया- खोया सा रहने लगे तो. घर के बड़े-बुजुर्गों के कहने पर; मुट्ठी भर सरसों, दो-चार सूखी लालमिर्च, और थोडा सा चोकर लेकर बच्चे के ऊपर से घुमा कर आग में डाल देते है, इस विधी को "नज़र" उतारना कहते है l
अभी तक मै जितने भी लोगो के घर गया हूँ , चाहे वो रिश्तेदार हो, पडोसी हो या फिर मित्र हो लगभग सभी के यहाँ यही विधान अपनाया जाता हैl 

       इस बात को मैं यहाँ इसलिए लिख रहा हु की जो बात मै आगे लिखने जा रहा हूँ शायद आपको उस पर बहुत हंसी आये , लेकिन बात १०० टका सही है l सभी को शोले फिल्म का गब्बर ज़रूर याद होगा , गब्बर या उसके साथी जब गाँव में आते तो उन्हें देख डर से सभी गाँव वाले अपने-अपने घरों में घुस जाते और उनके सामने नहीं पड़ना चाहते थे l यही स्थिति आज एक गाँव में देखने को मिलीl 

सुबह का समय था सभी लोग धूप में चहलकदमी कर रहे थे, तभी अचानक लोग गायब हो गये और रोड पर सन्नाटा फ़ैल गया l मेरा भी ध्यान उसी ओर गया, तब माज़रा समझ में आयाl एक व्यक्ति से पूछा कौन है ये देवी.. ? उस व्यक्ति ने कहा " ये अगर किसी हरे पेड़ को आँख भर के देख ले तो, खड़ा पेड़ सूख जाये l "
मै : कैसे ..?
व्यक्ति : बहुतै तगड़ा "टोना " लगाई देत है.
इतना कहने के बाद उसने मुझे उससे जुड़ी कई कहानिया गिनाई l 

मेरा ये कहने का कतई मतलब नहीं है, कि इन पर विश्वास किया जाये| लेकिन क्या करे ये मानव मस्तिष्क है, उसकी बात, और घर , समाज में देखने के बाद एक प्रश्न आया मन में की ,

जब कभी, कही पर भी इन शब्दों का इस्तेमाल होता है तो हमारी युवा पीढ़ी इसे " अन्धविश्वास " कहती है l 
लाख हम चीख-चीख कर यही कहते फिरे , फिर भी अपने ही मध्यमवर्गीय घरों में जब कभी छोटा बच्चा खाना न खाए, दूध न पिए कुछ खोया- खोया सा रहने लगे तो. घर के बड़े-बुजुर्गों के कहने पर; मुट्ठी भर सरसों, दो-चार सूखी लालमिर्च, और थोडा सा चोकर लेकर बच्चे के ऊपर से घुमा कर आग में डाल देते है, इस विधी को "नज़र" उतारना कहते है lअभी तक मै जितने भी लोगो के घर गया हूँ , चाहे वो रिश्तेदार हो, पडोसी हो या फिर मित्र हो लगभग सभी के यहाँ यही विधान अपनाया जाता हैl 
इस बात को मैं यहाँ इसलिए लिख रहा हु की जो बात मै आगे लिखने जा रहा हूँ शायद आपको उस पर बहुत हंसी आये , लेकिन बात १०० टका सही है l सभी को शोले फिल्म का गब्बर ज़रूर याद होगा , गब्बर या उसके साथी जब गाँव में आते तो उन्हें देख डर से सभी गाँव वाले अपने-अपने घरों में घुस जाते और उनके सामने नहीं पड़ना चाहते थे l यही स्थिति आज एक गाँव में देखने को मिलीl 
सुबह का समय था सभी लोग धूप में चहलकदमी कर रहे थे, तभी अचानक लोग गायब हो गये और रोड पर सन्नाटा फ़ैल गया l मेरा भी ध्यान उसी ओर गया, तब माज़रा समझ में आयाl एक व्यक्ति से पूछा कौन है ये देवी.. ? उस व्यक्ति ने कहा " ये अगर किसी हरे पेड़ को आँख भर के देख ले तो, खड़ा पेड़ सूख जाये l "
मै : कैसे ..?
व्यक्ति : बहुतै तगड़ा "टोना " लगाई देत है.
इतना कहने के बाद उसने मुझे उससे जुड़ी कई कहानिया गिनाई l 

मेरा ये कहने का कतई मतलब नहीं है, कि इन पर विश्वास किया जाये| लेकिन क्या करे ये मानव मस्तिष्क है, उसकी बात, और घर , समाज में देखने के बाद एक प्रश्न आया मन में की ,


इस " अन्धविश्वास" में 'विश्वास' कितना है ..??