मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

"विकास" से पहुंचे "हिन्दू -मुसलमान" तक ...

राजनीतिक इतिहास के बारे में ज्यादा तो नहीं जानता , मगर  हा इस बार जब लोकसभा चुनाव 2014  का " शंखनाद "  हुआ , तो मानो ऐसा लगा की अब भारत में "परिवर्तन" हो रहा है। रूढ़ीवादी राजनीति समाप्त हो रही है।  सब तरफ " विकास " और सिर्फ विकास ही मुख्य शब्द थे बाकी शब्दों को "लोरीया " गाकर सुला दिया गया.... सिर्फ विकास ही  जो , बड़े ही "हूंकार' के साथ लिए जाते थे।
सभी दिशाओं में  हर ऊँचाई   से इसकी " गर्जना " सुनने को मिलती।  इसकी " Marketing" भी भरपूर "मॉडल" के साथ हुई।  अच्छा भी लग रहा था।

ये शब्द पढ़ने और सुनने दोनों ही रूपों में बहुत अच्छा लगता है , लगे भी क्यों न आखिर सब को ' विकास ' जो चाहिए। 

जैसे-जैसे वक़्त निकलता गया ये " विकास " कटाई "बोटाई " से होते हुए "बदला" लेकर, 
" पिंक रेवोलुशन " तक  पहुँच कर  "हिन्दू और मुसलमान" की ओर बढ़ने लगा।  मौजूदा हालात देखकर ऐसा लगता है की यह  " विकास " कही इतना विकास न कर जाए की फिर इतिहास के पन्नो  से कुछ "पैराग्राफ" वापस उद्घृत करना पड़े।  

इतिहास होता है सीखने के लिए न की दोहराने के लिए।