मंगलवार, 30 दिसंबर 2014

कश्मश नये साल की...


 दोस्तों नये साल के आने का समय जैसे-जैसे नज़दीक आता जाता है,
 वैसे-वैसे  मन में रोमांच, मस्ती , आनंद और ख़ुशी की लहर सी उठाने लगाती है. साथ ही साथ मस्तिष्क का हिस्सा पुराने गले सिकवे, पुरानी गलतियों और उनसे सीखी बातो को आँखों के पटल पर रखने लगता है।
मेरे सामने भी ऐसे ही   बहुत से दृश्य आये। कभी ये खुद आते रहते है कभी कुछ देख,सुन या
 पढ़ कर आ जातेहै। एसी ही कुछ लाइनें मेरे सामने भी आयी WhatsApp के माध्यम से उसे आप सब के साथ साझा कर रहा हूँ बहुत ही खुबसूरत पंक्तियाँ है --

ज़िन्दगी का एक वर्ष कम हो चला ,
कुछ पुरानी यादों को पीछे छोड़ चला,

कुछ ख्वाइशें दिल में रह जाती है,
कुछ बिन मांगे मिल जाती है 

कुछ छोड़ कर चले गये
 कुछ नये जुड़ेंगे इस सफ़र में,

कुछ मुझसे बहुत खफ़ा है ,
कुछ मुझसे बहुत खुश है ,

कुछ शायद अनजान है ,
कुछ बहुत परेशान है,

कुछ को मेरा इंतज़ार है ,
कुछ का मुझे इंतज़ार है  

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