जिंदगी में पैसा कितना जरूरी है !!!
क्या आज पैसा ही मनुष्य के जीवन में सब कुछ है ??
किसी ने सही ही कहा है. “ दुसरे संसार का तो कुछ पता नहीं लेकिन इस संसार में सब कुछ तो पैसा ही है”
कुछ अपवादों को छोड़कर आज ये बात बिलकुल सही साबित होती है. हमारे यहाँ तो कई सारी भाषाएँ बोली जाती है, लेकिन एक भाषा ऐसी है जो बहरा भी सुन लेता है, गूंगा भी बोल लेता है, और ये आसानी से सब के समझ में भी आती है. इसी पर एक कहावत है शायद आप ने भी सुनी होगी
“ न बीवी, न बच्चा, न बाप न भैया The Whole think is that सबसे बड़ा रुपैया ”
जिस तरह आज इन्सान इंसानियत को भी छोड़कर मतलबी होता जा रहा है. वह दिन दूर नहीं जब कोई माँ-बाप अपनी दवा के लिए भी मुकदमा लड़ेंगे. क्योंकि पैसा अपना पराया नहीं देखता. संसार में सभी लोगो की अपनी महत्वाकांक्षाये होती है ,
कोई अपनी पसंद की चीजे खरीदना चाहता है, कोई मन पसंद जगह घूमना चाहता है, कोई तीर्थ यात्रा करना चाहता है. कोई गरीबो को दान देना चाहता है. और भी तमाम ख्वाहिश लोगो की होती है .
मतलब बहुत साफ़ है आपको अपनी ख़ुशी खरीदने के लिए पैसा चाहिए.
क्या कभी पैसा दुनिया की सबसे मज़बूत रिश्ता माना जाने वाला माता-पिता, और अर्धांगनी कही जाने वाली धर्म-पत्नी के रिश्ते को भी कमजोर कर सकता है, या फिर तोड़ सकता है. पता नहीं आपका जवाब क्या होगा..!!
अभी कल की ही बात है एक सज्जन जो की हमारे पडोसी गाँव के रहने वाले है, कुछ वक्त उनके साथ बिताने पर मुझे समझ में आया की पैसा न होने का दर्द क्या होता है, जब से उनकी नौकरी छूटी है उनकी धर्म-पत्नी न जाने कौन सा धर्म निभाने के लिए अपने पति के साथ जानवरों से भी निम्न कोटि का व्यवहार कर रही है.
आश्चर्य तो तब हुआ जब पता चला की उनकी बेटी भी अपने माँ का पूरा साथ निभा रही है. स्थिति यह है की वह व्यक्ति अपने ही घर में खुद पैदा किये गए दाने-दाने को तरस गया है. और भी कई ऐसि बात उन्होंने बताई जो व्यवहार शायद इन्सान नहीं कर सकता... उनसे बाते करते करते मेरी आँखों में आंसू आ गए . और तभी मेरे मन में तमाम प्रश्न उमड़ने लगे.
क्या जिंदगी में पैसा ही सब कुछ है..!!!
जिस तरह आज इन्सान इंसानियत को भी छोड़कर मतलबी होता जा रहा है. वह दिन दूर नहीं जब कोई माँ-बाप अपनी दवा के लिए भी मुकदमा लड़ेंगे. क्योंकि पैसा अपना पराया नहीं देखता. संसार में सभी लोगो की अपनी महत्वाकांक्षाये होती है ,
कोई अपनी पसंद की चीजे खरीदना चाहता है, कोई मन पसंद जगह घूमना चाहता है, कोई तीर्थ यात्रा करना चाहता है. कोई गरीबो को दान देना चाहता है. और भी तमाम ख्वाहिश लोगो की होती है .
मतलब बहुत साफ़ है आपको अपनी ख़ुशी खरीदने के लिए पैसा चाहिए.
क्या कभी पैसा दुनिया की सबसे मज़बूत रिश्ता माना जाने वाला माता-पिता, और अर्धांगनी कही जाने वाली धर्म-पत्नी के रिश्ते को भी कमजोर कर सकता है, या फिर तोड़ सकता है. पता नहीं आपका जवाब क्या होगा..!!
अभी कल की ही बात है एक सज्जन जो की हमारे पडोसी गाँव के रहने वाले है, कुछ वक्त उनके साथ बिताने पर मुझे समझ में आया की पैसा न होने का दर्द क्या होता है, जब से उनकी नौकरी छूटी है उनकी धर्म-पत्नी न जाने कौन सा धर्म निभाने के लिए अपने पति के साथ जानवरों से भी निम्न कोटि का व्यवहार कर रही है.
आश्चर्य तो तब हुआ जब पता चला की उनकी बेटी भी अपने माँ का पूरा साथ निभा रही है. स्थिति यह है की वह व्यक्ति अपने ही घर में खुद पैदा किये गए दाने-दाने को तरस गया है. और भी कई ऐसि बात उन्होंने बताई जो व्यवहार शायद इन्सान नहीं कर सकता... उनसे बाते करते करते मेरी आँखों में आंसू आ गए . और तभी मेरे मन में तमाम प्रश्न उमड़ने लगे.
क्या जिंदगी में पैसा ही सब कुछ है..!!!
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